Ram Mandir full Story in Hindi ||1528 से 2020 तक की पूरी कहानी हिंदी में ||
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद: 1528 से 2020 तक, 400 साल की पूरी कहानी:
म मंदिर का विवाद लगभग 400 वर्ष से भी पुराना था इस मामले की शुरुआत सन् 1528 मे हुयी थी जब बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया था राम मंदिर मामला बारात के सबसे ज्यादा समय तक चलने वाले मामलो में से एक है आज हम आपको Ram Mandir ki full story Hindi में बताएँगे !
राम मंदिर का नया प्रस्तावित मॉडल |
> राम मदिर विवाद की शुरुआत
> 1853 से 1949 तक मामला
>23 दिसम्बर 1949 से 6 दिसम्बर 1992 तक मामला
> 2002 से 16 अक्टूबर 2019 तक मामला
> आयोध्या श्री राम जन्म भूमि पूजन
History of Ram Mandir :
राम मदिर विवाद की शुरुआत :
राम मंदिर विवाद की शुरुआत आज से लगभग 492 वर्ष पुरानी है जब श्री राम मदिर को गिराकर बाबर ने विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण कराय था।
1853 से 1949 तक मामला :
1853 में इस जगह पर पहल दंगा हुआ। इसके बाद सन 1885 में महंत रघुबीर दस जी ने कोर्ट में याचिका दायर की पर इसे ख़ारिज कर दिया गया यह अपने आप में श्री राम मंदिर का पहला मामला था जो कोर्ट में जा पंहुचा। इसे देखते हुए 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने इस जगह के आस पास बाड़ लगा दिए।
23 दिसम्बर 1949 से 6 दिसम्बर 1992 तक का मामला :
इस मामले की असली शुरुआत 23 दिसम्बर 1949 को हुई जब विवादित भूमि में श्री राम की मूर्तियों के अवशेष मिले उस समय की उत्तर प्रदेश की सरकार ने इसे तुरंत हटाने का आदेश दिया परन्तु कुछ कारणों से उस जहाज को बंद कर दिया गया। हिन्दू पक्ष वालो ने इसके खिलाफ याचिका दायर की जिसमे उन्होंने यहां पर पूजा अर्चना और विवादित जगह पर श्री राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई।
इसके खिलाफ 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने वह से मूर्तियों को हटाने की मांग की।
1986 मे फैजाबाद के जिला जज के ऍम पांडे ने विवादित जगह पर हिन्दुओ को पूजा करने की इजाजद दे दी।
6 दिसम्बर 1992 :
यह दिन श्री राम मंदिर के विवाद का सबसे काला दिन माना जाता है जज के आदेश के बाद विवादित ढांचे को गिरा दिया गया जिससे देशभर में हिन्दुओ और मुसलमानो के बीच दंगे होने लगे जिसमे लगभग 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।
2002 से 16 अक्टूबर 2019 तक मामला :
2002 में इस मामले ने एक नया रुख ले लिया जब हिन्दुओ को ले जा रहे ट्रैन में आग लगा दी गयी और 50 से ज्यादा लोगो की मौत हो गयी। यही से ये मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया।
साल 2010 में इलाहबाद हाई कोर्ट ने 3 बराबर हिस्सों में बाट दिया जिसमे सुन्नी वक्फ बोर्ड ,रामलला बिराजमान और निर्मोही अखाड़ा में बाटा गया।
लेकिन 2011 सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
6 अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हो गयी।
16 अक्टूबर 2019 को आखिरकार श्री राम जन्म भूमि का फैसला आ ही गया अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी हुई और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
9 November 2019 इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की बैठक की और फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया गया , जिसमे 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिन्दू के हित में आई और मस्जिद के लिए 5 एकड़ अलग से दी गयी।
आयोध्या श्री राम जन्म भूमि पूजन:
आखिरकार इतने सालो का इंतजार ख़त्म हुआ और 5 अक्टूबर 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथो श्री राम मंदिर का भूमिपूजन सम्पन हुआ यह दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा।
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